Ambika In Jaina Art And Literature | अम्बिका इन जैना आर्ट एंड लिटरेचर

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Subject

Jainology

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इन्सानी रिश्तों को गहराई से देखने, परखने और एक नये और ख़ूबसूरत अन्दाज़ से पेश करने में ‘ख़याल’ ने अपनी एक अलग पहचान बनायी है। अपनी जाती काविशों को अपने से बाहर निकल कर देखने और उनके हवाले से जीवन का सच उजागर करने का हौसला भी उसमें है।

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Weight 450 kg
Dimensions 24 × 16 cm
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Jainology

About the Author
प्रियदर्शी ठाकुर - अगस्त, 1946 में मोतीहारी, बिहार में जनमे 'ख़याल' सिंहवाड़ा (दरभंगा), बिहार के निवासी है। पटना कॉलेज से स्नातक और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (इतिहास) शिक्षा प्राप्ति के बाद 'ख़याल' ठाकुर ने 1967 से 1970 तक भगत सिंह कॉलेज, नयी दिल्ली में अध्यापन कार्य किया। 1970 में प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से भारतीय प्रशासनिक सेवा में नियुक्त हुए और सम्प्रति नयी दिल्ली में मानव संसाधन विकास मन्त्रालय के शिक्षा विभाग में संयुक्त सचिव हैं। 'ख़याल' अपने मूल नाम से हिन्दी कविताएँ और 'ख़याल' तख़ल्लुस से उर्दू गज़लें लिखते हैं। आप की कविताओं का एक संकलन 'टूटा हुआ पुल' (1982) तथा ग़ज़लों का संकलन 'रात गये' (1989) प्रकाशित हो चुके हैं।

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