Bhor Hone Se Pahale भोर होने से पहले

Author

Publisher

Language

Edition

2024

ISBN

9789355185020

Pages

228

Cover

Hardcover

Size

23*2*15(L*B*H)

Weight

390 Gm

Item Code

9789355185020

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Description

भोर होने से पहले –

हिन्दी के ख्यात कथाकार मिथिलेश्वर का यह आठवाँ कहानी-संग्रह है। मिथिलेश्वर की कहानियाँ प्रायः उनकी अपनी ज़मीन से जुड़ी हुई होती हैं और वहाँ के शोषित, अभावग्रस्त और गरीबी में साँस ले रहे, या फिर विकसित हो रही औद्योगिक संस्कृति एवं शहरी हवा में कहीं खो गये आदमी की मनोदशा का विश्लेषण करती हैं। रचनाकार ने अपने आस-पास के जीवन को एक्स-रे नज़र से देखा, जाना है। जीवन के दुःखद, भयावह, कटु एवं विषाक्त परिवेश ने उसे भीतर तक कचोटा है, आहत किया है। शायद, इन्हीं सब विषमताओं और जटिलताओं से उपजी हैं मिथिलेश्वर की कहानियाँ ।

इनमें एक ओर जहाँ स्वाधीनता के इतने वर्ष बाद दीमक की तरह जहाँ-तहाँ चिपके सामन्ती जीवन-पद्धति का चित्रण है तो कहीं आश्रय और पनाह की खोज में भटक गयी ममतामयी नारी-काया का। इससे भिन्न कुछ एक कहानियाँ राजनीति और शिक्षा-जगत् के गिरते हुए मूल्यों की ओर मार्मिक व्यंग्य के लहजे में अंगुलि-निर्देश करती हैं। कुछ कहानियाँ शुद्ध काल्पनिक भी हैं।

आंचलिक यथार्थ को सजीव एवं प्रभावपूर्ण बनाने में बिम्बों-प्रतीकों का समायोजन इन कहानियों की अपनी विशेषता है। आशा है, सहृदय पाठकों और सुधी समालोचकों को मिथिलेश्वर जी की ये सभी कहानियाँ रुचिकर लगेंगी ।

Additional information
Weight 0.41 kg
Dimensions 23 × 2 × 15 cm
Author

Publisher

Language

Edition

2024

ISBN

9789355185020

Pages

228

Cover

Hardcover

Size

23*2*15(L*B*H)

Weight

390 Gm

Item Code

9789355185020

About the Author
"मिथिलेश्वर - जन्म : 31 दिसम्बर 1950, बिहार के भोजपुर ज़िले के बैसाडीह नामक गाँव में। शिक्षा : एम.ए., पीएच. डी. (हिन्दी)। लेखन : 1965 के छात्र-जीवन से ही प्रारम्भ। अब तक सौ से अधिक कहानियाँ, दो उपन्यास, दर्जनों समीक्षात्मक आलेख, संस्मरण, व्यंग्य, निबन्ध और टिप्पणियाँ प्रायः सभी स्तरीय एवं प्रसिद्ध पत्रिकाओं में प्रकाशित । अनेक कहानियाँ विभिन्न देशी तथा विदेशी भाषाओं में अनूदित । प्रकाशित पुस्तकें : कहानी-संग्रह - बाबूजी (1976), बन्द रास्तों के बीच (1978), दूसरा महाभारत (1979), मेघना का निर्णय (1980), तिरिया जनम (1982), हरिहर काका (1983), एक में अनेक (1987), एक थे प्रो. बी. लाल (1993)। उपन्यास-झुनिया (1980) और युद्ध स्थल (1981)। बालोपयोगी कथा-पुस्तक- उस रात की बात (1993) । सम्मान-पुरस्कार : बाबूजी कहानी-संग्रह के लिए म.प्र. साहित्य परिषद् द्वारा वर्ष 1976 के 'अखिल भारतीय मुक्तिबोध पुरस्कार', बन्द रास्तों के बीच कहानी-संग्रह के लिए सोवियत रूस द्वारा वर्ष 1979 के 'सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार', मेघना का निर्णय कहानी-संग्रह के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा वर्ष 1981-82 के 'यश

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