Basant ke Ekant Zile Mein बसन्त के एकान्त ज़िले में

Author

,

Publisher

Language

Edition

2024

ISBN

9789357754125

Pages

152

Cover

Hardcover

Size

23*2*15(L*B*H)

Weight

190 Gm

Item Code

9789357754125

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Description

बसन्त के एकान्त ज़िले में –
वर्ष 1986 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित शीर्षस्थ ओड़िया साहित्यकार सच्चिदानन्द राउतराय ओड़िया साहित्य में काव्य-मुक्ति के अग्रदूत माने जाते हैं। अपने कविता-संग्रहों ‘पाथेय’ और ‘पाण्डुलिपि’ द्वारा उन्होंने ओड़िया साहित्य पर नवयुग और नयी कविता के द्वार खोले। उनके कालजयी कविता संग्रह ‘कविता : 1962’ में इस नयी प्रवृत्ति को और भी स्पष्ट और मूर्त रूप मिला।
बिम्ब योजना में पारंगत राउतराय वर्ण, ध्वनि तथा आकृतियों पर आधारित भाँति-भाँति के बिम्बों का प्रयोग करते रहे हैं। प्रारम्भ से ही उन्होंने मुक्त छन्द का विकास किया जो निर्बाध एवं लचीला है। उनकी मान्यता है कि कविता को समस्त अलंकरण तथा संगीत प्रलोभनों का त्याग कर मात्र कविता, विशुद्ध कविता के रूप में ही अपनी नैसर्गिक गरिमा द्वारा पाठक के मन-मस्तिष्क पर छा जाना चाहिए। सची बाबू का काव्य-संसार पदार्थ से लेकर आत्मा तक फैला है। उनकी कविता क्षयी सामाजिक व्यवस्था के विरुद्ध मानव अधिकारों का एक आक्रोशी घोषणा-पत्र है :
मैं श्रमिकों का कवि खड़ा हूँ
लिए हाथ में क़लम हथियार की तरह
स्वप्न देखता उस दिन का
जब मनुष्य लौटेगा बलिवेदी से
जागेगा स्वतन्त्रता की भोर में
और एक नया लाल सूरज
तथा मेरे कवि की क़लम
करेंगे हस्ताक्षर
मनुष्य-मनुष्य के लिए के अधिकार पत्र पर।

Additional information
Weight 0.35 kg
Dimensions 23 × 2 × 14 cm
Author

,

Publisher

Language

Edition

2024

ISBN

9789357754125

Pages

152

Cover

Hardcover

Size

23*2*15(L*B*H)

Weight

190 Gm

Item Code

9789357754125

About the Author
"डॉ. सच्चिदानन्द राउतराय - आधुनिक ओड़िया कविता के भगीरथ के रूप में प्रख्यात। कथा-शिल्पी, नाट्यकार एवं साहित्य-मनीषी की हैसियत से भी भारतीय साहित्यकारों में अग्रगण्य। जन्म: 1916, खुर्धा, उड़ीसा में। स्वाधीनता संग्राम सहित अनेक आन्दोलनों में भाग लेने के कारण कई बार जेल-यात्रा। बारह वर्ष की आयु से लेखन में प्रवृत्त। प्रथम काव्य-संकलन 'पाथेय' 1932 में प्रकाशित। कुल मिलाकर 18 काव्य-संकलन, 4 कहानी-संग्रह, 2 उपन्यास, 1 काव्य-नाटक, साहित्य-समीक्षा की 3 पुस्तकें तथा साहित्यिक मूल्यों पर महत्त्वपूर्ण अनुसन्धान कार्य। 1986 के ज्ञानपीठ पुरस्कार के अतिरिक्त साहित्य अकादेमी पुरस्कार, सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार, आन्ध्र विश्वविद्यालय एवं ब्रह्मपुर विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि एवं पद्मश्री से अलंकृत। विभिन्न देशों में आयोजित साहित्य-संगोष्ठियों का प्रतिनिधित्व। ओड़िया कला परिषद् की संस्थापना। "

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