Apne Aranya ki Aor अपने अरण्य की ओर

Author

Publisher

Language

Edition

2024

ISBN

9789357754729

Pages

312

Cover

Hardcover

Size

23*3*15(L*B*H)

Weight

540 gm

Item Code

9789357754729

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Description

अपने अरण्य की ओर –

लोकगीतों, लोक कथाओं और लोकतन्त्र में सैर सपाटा करने वालों, तिथि-बार के वक्ताओं-प्रवक्ताओं को वहाँ ऐसा कुछ न मिले, जिसे मैं इस उपन्यास में लिख रहा हूँ, जो उनकी दृष्टि में सिर्फ़ मेरी कायरता दिखे, जिसे मैं अभी इस भूभाग की एक बानगी भर कह रहा हूँ – मैं भी उस परिक्षेत्र को समुचित रूप में रच रहा हूँ – ऐसा नहीं है; सबकुछ लिखना अच्छा-अच्छा लिखने से कहीं अधिक कठिन है। वहाँ हिमालय है, उसकी सुन्दर वादियाँ हैं। वन-उपवन, नदियाँ, झरते झरने, झीलों सी गहरी उम्मीद से भरी दुनिया है। जिसे हर कोई हमेशा हराभरा मनोहारी देखना चाहता है, परन्तु मेरी दृष्टि पता नहीं क्यों वैसा देखने में अक्षम हो जाती है।

मुझे बहुत बार दृष्टि भ्रम भी लगता रहा है। आँखों में पानी सरसराया तो विश्वास मज़बूत होता प्रतीत हुआ— आँखों में रोशनी है, पानी मरा नहीं है। मेरी आँखें जैसा देख रही हैं, वैसी ही अँगुलियाँ चल रही हैं। फ़र्क है, अब पेन-पेपर की ठौर पर लेपटॉप और कम्प्यूटर हैं। इनके उपयोग से मन मस्तिष्क और अँगुलियों को शब्दों को लिखने में नयी गति अवश्य मिली है- दृष्टि भ्रम और दृष्टि दोष तो हो ही नहीं सकता। यही वजह है, मैंने हिमालय को हिमालय जैसा ही देखा है – उसे जस-तस देखना न दृष्टि भ्रम है न ही अनुचित।

– भूमिका से

Additional information
Weight 0.539 kg
Dimensions 23 × 3 × 15 cm
Author

Publisher

Language

Edition

2024

ISBN

9789357754729

Pages

312

Cover

Hardcover

Size

23*3*15(L*B*H)

Weight

540 gm

Item Code

9789357754729

About the Author
"डॉ. हरिसुमन बिष्ट - उपन्यास, कहानी, नाटक एवं यात्रा साहित्य के साथ-साथ गीत और सिनेमा के लिए पटकथा लिखने वाले डॉ. हरिसुमन बिष्ट हिन्दी भाषा साहित्य के एक लोकप्रिय साहित्यकार हैं। उन्होंने अपने सरोकारों और संवेदनाओं से भरी कृतियों से अपना आकाश बनाया है। प्रकाशित कृतियाँ : ममता, आसमान झुक रहा। है, होना पहाड़, आछरी माछरी, बसेरा, भीतर कई एकान्त, बत्तीस राग गाओ मोला तथा अपने अरण्य की ओर (उपन्यास) सफ़ेद दाग, आग और अन्य कहानियाँ, मछरंगा, बिजूका और अन्य कहानियाँ, हरिसुमन बिष्ट की चुनी हुई कहानियाँ, प्रेक्षागृह एवं अन्य कहानियाँ (कहानी-संग्रह); अन्तरयात्रा, नील के आर पार (यात्रा-वृतान्त); आछरी माछरी, दिसम्बर 1971 का एक दिन, प्रेक्षागृह तथा लाटा नाटक प्रमुख कृतियाँ हैं। हरिसुमन बिष्ट की रचनाओं का अंग्रेज़ी सहित भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। नाटकों का मंचन हुआ है। पुरस्कार/सम्मान : हरिसुमन बिष्ट को उनके साहित्य के लिए समय-समय पर विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया जाता रहा है। प्रमुख रूप में मध्य प्रदेश राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, हिन्दी भवन, भोपाल, विजय वर्मा कथा सम्मान, मुम्बई, अखिल भारत

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