Mahabharat Set of 6 Vols. महाभारत 6 भागों में

Publisher

Language

Pages

7370

Cover

Hardcover

Size

28*22*33

Weight

10 Kg

Original price was: ₹3,000.00.Current price is: ₹2,849.00.

Available

5 in stock

Shipped in 1-3 Business Days
100% Genuine Books
Description

महाभारत 6 भागों में (Mahabharat Set of 6 Vols.) महाभारत आर्य-संस्कृति तथा भारतीय सनातनधर्मका एक महान् ग्रन्थ तथा अमूल्य रत्नोंका अपार भण्डार है। भगवान् वेदव्यास स्वयं कहते हैं कि ‘इस महाभारतमें मैंने वेदोंके रहस्य और विस्तार, उपनिषदोंके सम्पूर्ण सार, इतिहास-पुराणोंके उन्मेष और निमेष, चातुर्वर्ण्यके विधान, पुराणोंके आशय, ग्रह-नक्षत्र-तारा आदिके परिमाण, न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, दान, पाशुपत (अन्तर्यामीकी महिमा), तीर्थों, पुण्य देशों, नदियों, पर्वतों, वनों तथा समुद्रोंका भी वर्णन किया गया है। अतएव महाभारत महाकाव्य है, गूढ़ार्थमय ज्ञान-विज्ञान-शास्त्र है, धर्मग्रन्थ है, राजनीतिक दर्शन है, कर्मयोग दर्शन है, भक्ति-शास्त्र है, अध्यात्म-शास्त्र है, आर्यजातिका इतिहास है और सर्वार्थसाधक तथा सर्वशास्त्रसंग्रह है। सबसे अधिक महत्त्वकी बात तो यह है कि इसमें एक, अद्वितीय, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान्, सर्वलोकमहेश्वर, परमयोगेश्वर, अचिन्त्यानन्त गुणगणसम्पन्न, सृष्टि-स्थिति प्रलयकारी, विचित्र लीलाविहारी, भक्त-भक्तिमान्, भक्त सर्वस्व, निखिलरसामृतसिन्धु, अनन्त प्रेमाधार, प्रेमधनविग्रह, सच्चिदानन्दधन, वासुदेव भगवान् श्रीकृष्णके गुण-गौरवका मधुर गान है। इसकी महिमा अपार है। औपनिषद ऋषिने भी इतिहास-पुराणको पंचम वेद बताकर महाभारतकी सर्वोपरि महत्ता स्वीकार की है।

इस महाभारतके हिन्दीमें कई अनुवाद इससे पहले प्रकाशित हो चुके हैं, परन्तु इस समय मूल संस्कृत तथा हिन्दी अनुवादसहित सम्पूर्ण ग्रन्थ शायद उपलब्ध नहीं है। इसे गीताप्रेसने संवत् १९९९ में प्रकाशित किया था, किन्तु परिस्थिति एवं साधनोंके अभावमें पाठकोंकी सेवामें नहीं दिया जा सका। भगवत्कृपासे इसे पुनर्मुद्रित करनेका सुअवसर अब प्राप्त हुआ है।

इस महाभारतमें मुख्यतः नीलकण्ठीके अनुसार पाठ लिया गया है। साथ ही दाक्षिणात्य पाठके उपयोगी अंशोंको सम्मिलित किया गया है और इसीके अनुसार बीच-बीचमें उसके श्लोक अर्थसहित दे दिये गये हैं पर उन श्लोकोंकी श्लोक संख्या न तो मूलमें दी गयी है, न अर्थमें ही। अध्यायके अन्तमें दाक्षिणात्य पाठके श्लोकोंकी संख्या अलग बताकर उक्त अध्यायकी पूर्ण श्लोक संख्या बता दी गयी है और इसी प्रकार पर्वके अन्तमें लिये हुए दाक्षिणात्य अधिक पाठके श्लोकोंकी संख्या अलग-अलग बताकर उस पर्वकी पूर्ण श्लोक-संख्या भी दे दी गयी है। इसके अतिरिक्त महाभारतके पूर्वप्रकाशित अन्यान्य संस्करणों तथा पूनाके संस्करणसे भी पाठ निर्णयमें सहायता ली गयी है और अच्छा प्रतीत होनेपर उनके मूलपाठ या पाठान्तरको भी ग्रहण किया गया है। इस संस्करणमें कुल श्लोक संख्या १००२१७ है। इसमें उत्तर भारतीय पाठकी ८६६००, दाक्षिणात्य पाठकी ६५८४ तथा ‘उवाच’ की संख्या ७०३२ है।

इस विशाल ग्रन्धके हिन्दी अनुवादका प्रायः सारा कार्य गीताप्रेसके प्रसिद्ध तथा सिद्धहस्त भाषान्तरकार संस्कृत-हिन्दी दोनों भाषाओंके सफल लेखक तथा कवि, परम विद्वान् पण्डितप्रवर श्रीरामनारायणदत्तजी शास्त्री महोदयने किया है। इसीसे अनुवादकी भाषा सरल होनेके साथ ही इतनी सुमधुर हो सकी है। दार्शनिक वयोवृद्ध विद्वान् डॉ० श्रीभगवानदासजीने इस अनुवादकी भूरि-भूरि प्रशंसा की थी। आदिपर्व तथा कुछ अन्य पर्वोंके कुछ अनुबादको हमारे परम आदरणीय विद्वान् स्वामीजी श्रीअखण्डानन्दजी महाराजने भी कृपापूर्वक देखा है; इसके लिये हम उनके कृतज्ञ हैं।

इसके अतिरिक्त, पाठनिर्णय तथा अनुवाद देखनेका सारा कार्य हमारे परमश्श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाने समय-समयपर स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी, श्रीहरिकृष्णदासजी गोयन्दका, श्रीधनश्यामदासजी जालान, श्रीवासुदेवजी काबरा आदिको साथ रखकर किया है। श्रीगोयन्दकाजी तथा इन महानुभावोंने इतनी लगनके साथ बहुत लम्बा समय नियमितरूपसे देकर काम न किया होता तो इस विशाल ग्रन्थका प्रकाशन होना सम्भव नहीं था। इस प्रकार भगवत्कृपासे यह महान् कार्य ६ खण्डोंमें पूरा हुआ है। आशा है, भारतीय जनता इससे लाभ उठाकर धार्मिक जीवनयापन एवं अपने जीवनको सफल बनानेमें सक्षम होगी।

Additional information
Weight 6 kg
Dimensions 28 × 19 × 33 cm
Publisher

Language

Pages

7370

Cover

Hardcover

Size

28*22*33

Weight

10 Kg

About the Author

Related products

REVIEWS